बिहार सरकार का मानना है कि जातीय जनगणना के माध्यम से हाशिए पर खड़ी जातियों का ना सिर्फ़ उत्थान संभव है बल्कि उन्हें एक बेहतर जीवन भी मुहैया कराया जा सकेगा। ये आंकड़े भविष्य में राज्य की नीतियां बनाने में सहयोगी अवयव होंगे। लेकिन प्रश्न ये भी उठता है कि क्या मात्र जातीय जनगणना के आंकड़ों से ही सब तक एक समान न्याय और विकास पहुंचेगा या इसकी जमीनी हकीकत कुछ और है?
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बिहार में जातीय जनगणना का गणित


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