भारत में जैसे ही चुनावी मौसम करवटें बदलता हुए दिखाई देता है वैसे ही राजनीतिक पार्टियां लोकलुभावन वादे करना प्रारंभ कर देती हैं। पार्टियों की इन अतरंगी घोषणाओं से विकास की संभावनाएं भले ही दिखाई ना दें लेकिन जनता की आँखे ज़रूर चमक उठती हैं। ऐसा ही कुछ इस चुनावी बयार में भी देखने को मिल रहा है। सभी राजनीतिक पार्टियां मुफ़्त की पेशकश देने में एक दूसरे को मात देती हुई नज़र आ रही हैं।
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भारतीय राजनीति में रेवड़ी संस्कृति का बढ़ता चलन
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