यमुना में बढ़ता प्रदूषण राजधानी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यमुना नदी के ऊपर तैरते जहरीले सफ़ेद झाग को कोई भी नया व्यक्ति बर्फ की चादर समझ लेगा, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है। जैसे-जैसे छठ महापर्व करीब आता जा रहा है, वैसे वैसे ही इसकी तैयारियां जोरों शोरों से शुरू हो गई है। नदी के किनारों पर प्रशासन ने छठ के लिए घाटों का निर्माण करवाना भी शुरू कर दिया है। लेकिन दिल्ली में यमुना का बढ़ता प्रदूषण हर बार की तरह ही छठ जैसे त्योहारों का रंग फीका कर रहा है और ये समस्या सिर्फ़ त्योहारों से जुड़ी ही नहीं है बल्कि आम जन जीवन को भी प्रभावित करने वाली भी है।
हरियाणा से अपनी यात्रा प्रारंभ करती हुई यमुना इतनी प्रदूषित नहीं होती है जब तक वो दिल्ली में नहीं आ जाती। गुरुग्राम से प्रतिदिन एक लाख क्यूसेक प्रदूषित पानी नजफगढ़ ड्रेन से यमुना में डाला जा रहा है। इससे नदी की गंदगी और बढ़ती जा रही है । इसके साथ ही पानी की सफाई न होने से आसपास के लोगों को दुर्गंध जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जनवरी 2023 में,उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले आठ वर्षों में दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण दोगुना हो गया है।
यमुना के बढ़ते हुए प्रदूषण की वजह से भारतीय जनता पार्टी आए दिन केजरीवाल सरकार को घेरती नजर आती है। हाल ही में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने सांसद मनोज तिवारी और मयूर विहार जिलाध्यक्ष विजेंद्र धामा के साथ यमुना नदी की स्थिति देखने के लिए कालिंदी कुंज पहुंचे। सचदेवा ने यमुना में तैरते जहरीले झाग को देखकर कहा कि केजरीवाल आएं और जनता से किए वादे के अनुसार यमुना का पानी पीएं और डुबकी लगाएं।इस पानी की ऐसी हालत है कि अगर कोई इसमें हाथ डाल दे, तो बीमार पड़ जाए। छठ पूजा के दौरान उन लोगों का क्या होगा जो इसमें डुबकी लगाएंगे?
वहीं दूसरी ओर दिल्ली सरकार यमुना के प्रदूषण के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को जिम्मेदार मान रही है। गौरतलब है कि इन राज्यों के कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट और जहरीले पदार्थ बिना किसी ज़रूरी निस्तारण के यमुना नदी में छोड़े जा रहे हैं जिससे यमुना नदी का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है । ख़ैर कारण कुछ भी हो लेकिन यदि समय रहते इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो शायद आने वाली पीढ़ियों के लिए यमुना अस्तित्वविहीन हो जायेगी।
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